कुंडली के द्वादश भाव में अष्टमेश का प्रभाव

कुंडली के द्वादश भाव में अष्टमेश का प्रभाव

1)कुंडली के द्वादश भाव में अष्टमेश का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम अष्टम भाव और द्वादश भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे। अष्टम भाव का स्वामी स्वयं के भाव से पंचम भाव में स्थित है, अतः प्रथम भाव के स्वामी का पंचम भाव में क्या फल होता है, हम इसके बारे में भी जानकारी प्राप्त करेंगे।

2) अष्टम भाव का स्वामी व्यय भाव में स्थित है, अतः यह आयु की हानि का कारक हो सकता है। अष्टम भाव का स्वामी लग्न से भी द्वादश है, यह जातक की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी कम करता है। अतः हम कह सकते हैं कि अष्टम भाव का स्वामी द्वादश भाव में जातक की आयु और रोगों से लड़ने की क्षमता दोनों को प्रभावित करता है। अतः जातक रोगी शरीर वाला व्यक्ति हो सकता है। खासकर जब अष्टमेश द्वादश में नैसर्गिक पापी ग्रह से संबंध स्थापित करता हो। यदि अष्टम भाव का स्वामी द्वादश भाव में शुभ स्थिति में हो तब बुरे प्रभाव कम होते हैं।

3) अष्टम भाव का स्वामी द्वादश भाव में स्थित हो तब यह विपरीत राजयोग का निर्माण करता है। फलदीपिका में इसे विमला नाम से उद्धृत किया गया है। विपरीत राजयोग के फलस्वरूप जातक को जीवन के आरंभिक अवस्था में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, तदुपरांत जातक को अच्छी सफलता प्राप्त होती है। फलदीपिका के अनुसार विमला योग का जातक कंजूस प्रवृत्ति का, बचत के मामले में कुशल, दूसरों को अपना उत्तम व्यवहार दिखाने वाला, अपने सुख सुविधा के ऊपर खर्च करने वाला और स्वतंत्र प्रवृत्ति का व्यक्ति होता है। जातक को अपने प्रोफेशनल लाइफ में एक सम्मानित व्यक्ति होता है। जातक अपने उत्तम गुणों के कारण समाज में सम्मानित होता है और याद रखा जाता है।

4) अष्टम हाउस भाव बाधा का कारक भाव है। द्वादश भाव का व्यय का कारक भाव है। यदि अष्टम भाव का स्वामी द्वादश भाव में स्थित हो तब जातक जातक के खर्चे कम हो जाते हैं, क्योंकि जातक को खर्च करने में बाधा का सामना करना पड़ता है। जातक सही जगह पर भी पैसे खर्च नहीं करता है। अष्टम भाव दु: स्थान है और अनैतिक कार्यों से संबंधित होता है। अष्टम भाव का स्वामी द्वादश भाव में स्थित हो तब जातक अनैतिक कार्यों जैसे जुआ, सट्टेबाजी, दारुबाजी, स्त्री के पीछे जैसे अनैतिक कार्यों में अपना घन खर्च करता है। यदि अष्टम भाव का स्वामी द्वादश भाव में शुभ स्थिति में हो तब जातक अपने खर्चे पर नियंत्रित करके उत्तम धन अर्जित करता है।

5) द्वादश भाव विदेशी मामलों से संबंधित होता है, यदि अष्टम भाव का स्वामी द्वादश भाव में स्थित है तब जातक अचानक से विदेश जा सकता है। जातक की मृत्यु विदेश में हो सकती है। जातक को विदेशी भूमि पर परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। जातक के बाहरी स्रोतों से गुप्त आय हो सकती है।

6) अष्टम भाव और द्वादश भाव दोनों मोक्ष त्रिकोण से संबंधित होते हैं। यदि अष्टम भाव का स्वामी द्वादश भाव में शुभ स्थिति में हो तब जातक आध्यात्मिक व्यक्ति हो सकता है। जातक को अध्यात्म के बारे में गहरा और गुढ़ ज्ञान हो सकता है। जातक अध्यात्म से संबंधित रिसर्च कार्य कर सकता है।

7) अष्टम भाव का स्वामी द्वादश भाव में स्थित हो तब जातक कामुक प्रवृत्ति का व्यक्ति हो सकता है। जातक को शयनसुख का उत्तम आनंद प्राप्त होता है। लेकिन अष्टम भाव का स्वामी द्वादश भाव में स्थित होने के कारण जातक को हार्मोनल या सेक्सुअल समस्या हो सकती है। जातक की निंद्रा भी अच्छी नहीं हो सकती है।

8)अष्टम भाव का स्वामी द्वादश भाव में शुभ स्थिति में ना हो तब जातक को बदनामी का सामना करना पड़ सकता है। जातक को जेल जैसी समस्या या कानूनी समस्या का भी सामना करना पड़ सकता है। जातक अपनी लाइलाज बीमारी के कारण हॉस्पिटल में भर्ती हो सकता है। जातक अपनी धन को जुआबाजी, सट्टेबाजी इत्यादि में खर्च कर सकता है। जातक का धन रोग और हॉस्पिटल से संबंधित खर्चों में नष्ट हो सकता है। जातक को सरकार से टैक्स से संबंधित समस्या हो सकती है या अचानक होने वाले घटनाओं के कारण जातक का धन नष्ट हो सकता है।

9) यदि अष्टम भाव का स्वामी द्वादश भाव के स्वामी के साथ द्वादश भाव में शुभ स्थिति में हो तब यह विपरीत राजयोग का निर्माण करता है। जातक अपने कार्यों के कारण प्रसिद्ध हो सकता है। जातक को अचानक से अच्छा धन प्राप्त हो सकता है। यदि अष्टम भाव का स्वामी द्वादश भाव में शुभ स्थिति में ना हो तब उत्तम फल कम हो जाते हैं और नकारात्मक फल बढ़ जाते हैं। जातक को अपने कार्यों के कारण बदनामी का सामना करना पड़ सकता है।

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