कुंडली के तृतीय भाव में गुरु का प्रभाव

कुंडली के तृतीय भाव में गुरु का प्रभाव


1) कुंडली के तृतीय भाव में गुरु का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम तृतीय भाव और गुरु के कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे।


2) तृतीय भाव शुभ उपग्रह अच्छा नहीं माना जाता है। तृतीय भाव में गुरु अस्त माना गया है। गुरु मृदु स्वभाव और नरम आचरण का कारक ग्रह है। तृतीय भाव में स्थित गुरु जातक के साहस में कमी करता है। जातक अपमान का सामना कर सकता है। जातक दूषित विचारों वाला और पाप कर्मों में लिप्त हो सकता है।


3) तृतीय भाव में स्थित गुरु जातक के भाइयों के लिए शुभ होता है। उनके भाइयों का समाज में अच्छी मान और प्रतिष्ठा होगी। भाइयों में परामर्श के उत्तम क्षमता होगी । जातक को अपने भाइयों से स्नेह और सहयोग मिलेगा।


4) जातक में सीखने की उत्तम क्षमता होती है और जातक ज्ञानवान भी होता है। जातक एक अच्छा लेखक हो सकता है। जातक अपनी भावना को लेखनी के द्वारा बहुत ही उत्तम स्वरूप में व्यक्त करने में सक्षम होगा।


5) तृतीय भाव में स्थित गुरु जातक को मध्यम दूरी की यात्रा दे सकता है। जातक धार्मिक स्थानों की यात्रा करेगा।


6) तृतीय भाव में स्थित गुरु जातक के पिता को स्वास्थ्य से संबंधित समस्या दे सकता है। जातक और उसके पिता के बीच मतभेद हो सकते हैं।


7) तृतीय भाव में स्थित गुरु जातक को लालची और धन के प्रति अत्यधिक झुका वाला व्यक्ति बना सकता है। जातक धन के लिए किसी भी प्रकार का कार्य करने को उत्सुक होगा। साथ ही जातक धन के मामले में सफलता अजीत करेगा।


8)तृतीय भाव में स्थित गुरु जातक के पाचन तंत्र में समस्या दे सकता है ।जातक को लीवर से संबंधित समस्या हो सकता है ।यदि तृतीय भाव में गुरु पीड़ित हो तब जातक को कानों से संबंधित समस्या हो सकती है।


9) तृतीय भाव में स्थित गुरु जातक के भाव में भाग्य में हानि दे सकता है।जातक अपने लाभ के लिए आने वाले अवसर से वंचित रह सकता है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Thanks You

Your Form is Submitted,
We will contact You soon !

Something Wasn’t Clear?
Feel free to contact me, and I will be more than happy to answer all of your questions.
Profile Picture