कुंडली के विभिन्न भागों में व्यतिपात का प्रभाव

कुंडली के विभिन्न भागों में व्यतिपात का प्रभाव

व्यतिपात का परिचय

व्यतिपात एक अप्रकाशक ग्रह होता है। स्वभाव से इसे पापी ग्रह के समान माना जाता है। फलदीपिका के अनुसार व्यतिपात गिरते हुए तारे या फॉलिंग स्टार से संबंधित होता है। ऐसी मान्यता है कि व्यतिपात जिस भाव में होगा उस भाव के कारकों को जंगली जानवर का डर होगा। आइए हम व्यतिपात के विभिन्न भागों में प्रभाव को जानते हैं।

व्यतिपात के विभिन्न भागों में प्रभाव

1) कुंडली के प्रथम भाव में व्यतिपात के कारण जातक क्रूर और खतरनाक स्वभाव का होता है। वह जंगली जानवर के समान हिंसक व्यवहार कर सकता है। जातक मूर्ख और जलनशील व्यक्ति होगा, खासकर वह अपने मित्रों और रिश्तेदारों से जलन की भावना रखेगा। जातक अपने जीवन में दुखो का सामना करेगा।

2) कुंडली के द्वितीय भाव में व्यतिपात का के प्रभाव के कारण जातक पित्त और पाचन से संबंधित समस्या का सामना करता है। जातक हृदय से साफ सुथरा व्यक्ति नहीं होगा। जातक नीच कर्मों में लिप्त होगा। जातक अहसानफरोश व्यक्ति होगा। जातक भौतिकवादी सुख-सुविधा के पीछे दीवाना होगा। जातक छल प्रपंच में माहिर होगा।

3) तृतीय भाव में स्थित व्यतिपात के कारण जातक मूढ़ं बुद्धि का होगा। जातक युद्ध नीति में निपुण और नैसर्गिक रूप से लड़ाकू प्रवृत्ति का व्यक्ति होगा। जातक दानशील होगा। जातक राजा का प्रिय होगा। जातक एक अच्छा सेनापति या लीडर हो सकता है। जातक धनी होगा धनी होगा।

4) चतुर्थ भाव में स्थित व्यतिपात के कारण जातक दुर्भाग्य से परेशान रहेगा। जातक को संतान सुख में कमी होगी। जातक रोगों से पीड़ित होगा। जातक को बंधन या कारावास का मुख देखना पड़ सकता है।

5) कुंडली के पंचम भाव में व्यतिपात का प्रभाव जातक को गरीब बना सकता है या जातक आर्थिक रूप से कमजोर हो सकता है। जातक देखने में आकर्षक होगा, लेकिन वह त्रिदोष से पीड़ित होगा। जातक बेशर्म और क्रूर स्वभाव का हो सकता है।

6) कुंडली के छठे भाव में व्यतिपात के कारण जातक अपने शत्रु का विनाश कर देता है। जातक शारीरिक रूप से मजबूत होता है। उसको शस्त्रों की बहुत ही अच्छी जानकारी होती है। वह विभिन्न प्रकार के कार्यों में कुशल होता है। जातक शांतिप्रिय स्वभाव का होता है।

7) कुंडली के सप्तम भाव में व्यतिपात के कारण जातक संतान सुख स्त्री सुख और स्वास्थ्य सुख से वंचित रह सकता है। जातक स्त्री के वश में रहता है। जातक बहुत सारे दुखों का सामना करता है। जातक कामुक प्रवृत्ति का हो सकता है। जातक बेशर्म प्रवृत्ति का हो सकता है। जातक अपने प्रिय जनों के शत्रुओं का प्रिय होगा।

8) कुंडली के अष्टम भाव में व्यतिपात के कारण जातक शारीरिक रूप से कुरूप हो सकता है। जातक की नेत्रों में परेशानी हो सकती है। जातक दुर्भाग्यशाली व्यक्ति हो सकता है। जातक ब्राह्मणों और विद्वानों का अपमान कर सकता है। जातक रक्त से संबंधित विकारों से पीड़ित रह सकता है।

9) कुंडली के नवम भाव में व्यतिपात के कारण जातक विभिन्न प्रकार के कार्यों के द्वारा अपनी जीविका चलाता है। जातक के अनेक मित्र हो सकते हैं। जातक विभिन्न प्रकार के शास्त्रों का उत्तम ज्ञान रखता हुआ। जातक स्त्रियों का प्रयोग होगा जातक संवाद कुशल व्यक्ति होगा।

10) कुंडली के दशम भाव में व्यतिपात के कारण जातक समृद्ध व्यक्ति होता है। जातक सच्चाई के साथ चलने वाला व्यक्ति होता है। जातक धार्मिक क्रियाकलापों में लिप्त रहता है। वह धर्म का गूढ़ रहस्य जानने वाला व्यक्ति हो सकता है। जातक बुद्धिमान और ज्ञानी हो सकता है।

11) कुंडली के एकादश भाव में व्यतिपात के कारण जातक धनी होता है और सच्चाई पर अडिग रहने वाला व्यक्ति होता है। जातक को तीव्र गति से चलने वाले वाहन का सुख मिलता है। जातक संगीत की ओर झुकाव रखने वाला व्यक्ति होता है।

12) द्वादश भाव में स्थित व्यतिपात के कारण जातक गुस्सैल प्रवृत्ति का हो सकता है। जातक विभिन्न प्रकार के कार्यों की जिम्मेदारी होती है। जातक शारीरिक रूप से असक्षम हो सकता है। जातक धार्मिक क्रियाकलापों का क्रिटिसाइजर हो सकता है। जातक स्वयं के रिश्तेदारों से या मित्रों से जलन की भावना रखने वाला व्यक्ति होगा।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Thanks You

Your Form is Submitted,
We will contact You soon !

Something Wasn’t Clear?
Feel free to contact me, and I will be more than happy to answer all of your questions.
Profile Picture