कुंडली के दशम भाव में षष्ठेश प्रभाव

कुंडली के दशम भाव में षष्ठेश प्रभाव

1)कुंडली के दशम भाव में षष्ठेश का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम दशम भाव और छठे भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे। छठा भाव का स्वामी स्वयं के भाव से पंचम स्थान में स्थित है, अतः प्रथम भाव के स्वामी का पंचम भाव में क्या फल होता है, हम इसके बारे में भी जानकारी प्राप्त करेंगे।

2)छठा भाग दुः स्थान होता है। छठा भाव का स्वामी दशम भाव में स्थित हो तब यह शुभ नहीं माना जा सकता है, क्योंकि एक दुःस्थान का स्वामी कुंडली के सबसे पावरफुल केंद्र में बैठा हो तब यह कुंडली के नैसर्गिक बल को कम करता है। लेकिन साथ ही छठा भाव एक उपचय भाव भी है, दशम भाव भी एक उपचय भाव है, अतः एक उपचय भाव का स्वामी दूसरे उपचय भाव में स्थित हो तब यह पॉजिटिव रिजल्ट देता है। साथ ही छठा और दशम भाव दोनों एक दूसरे से नव पंचम संबंध स्थापित करते हैं, अतः यह एक उत्तम संबंध होता है। कुल मिलाकर हम कह सकते हैं कि दशम भाव में स्थित षष्ठेश का प्रभाव छठे भाव के स्वामी की स्थिति पर निर्भर करता है।

3) छठा भाव जातक के जीवन के कठिनाइयों और बाधाओं का कारक भाव होता है। यदि छठा भाव का स्वामी दशम भाव में स्थित हो तब जातक के प्रोफेशनल लाइफ में तरह-तरह की कठिनाइयां और परेशानियां आती रहती है। जातक अपने प्रोफेशनल लाइफ में सर्वोच्च ऊंचाई पर नहीं पहुंच पाता है। जातक दूसरों की सेवा करने का भाव रखता है। जातक अच्छी पोजीशन में भी पहुंचकर बॉस नहीं बन सकता है।

4) यदि छठा भाव का स्वामी दशम भाव में स्थित तब जातक को अपने प्रोफेशनल लाइफ में अच्छा सम्मान नहीं प्राप्त हो पाता है। जातक को अपने जीवन में अपमान का सामना करना पड़ सकता है। जातक की प्रोफेशनल लाइफ डिस्टर्ब हो सकती है। जातक अपने जीवन में अनेक प्रकार के संघर्षों का सामना कर सकता है। जातक के प्रोफेशनल लाइफ में विभिन्न प्रकार के चेंज आते रहते हैं। जातक का प्रोफेशनल लाइफ स्थिर नहीं होता है। जातक को अपने प्रोफेशनल लाइफ में संतुष्टि की प्राप्ति नहीं हो पाती है।

5)छठे भाव शत्रु स्थान होता है, दशम भाव कार्यस्थल होता है। यदि छठा भाव का स्वामी दशम भाव में स्थित हो तब जातक को अपने कार्यस्थल पर विभिन्न प्रकार के शत्रुओं का सामना करना पड़ सकता है। यदि छठा भाव का स्वामी दशम भाव में पीड़ित हो तब जातक के शत्रु जातक को उसके प्रोफेशनल लाइफ में हानि पहुंचा सकते हैं। जातक जॉब या नौकरी जाने के खतरे का सामना कर सकता है। यदि छठा भाव का स्वामी दशम भाव में शुभ स्थिति में हो तब जातक को उत्तम नौकरी या जाॅब प्राप्त होता है।

6) छठा भाव का स्वामी दशम भाव में स्थित हो तब जातक अपने व्यापार में अच्छी सफलता नहीं प्राप्त करता है। जातक के रिस्क लेने की क्षमता बहुत ज्यादा नहीं होती है, क्योंकि जातक रिस्क लेने में घबराता रहता है। जातक अपने नुकसान से डरता है।

7)छठा भाव का स्वामी दशम भाव से चतुर्थ भाव पर अपनी पूर्ण दृष्टि डालता है। चतुर्थ भाव जातक के मन का कारक होता है। अतः छठे भाव का स्वामी के दशम भाव में स्थित होने के कारण जातक मानसिक तनाव का सामना करता है। जातक के प्रोफेशनल लाइफ में उसके वर्किंग कैपेसिटी पर भी यह बुरा प्रभाव डालता है।

8)छठा भाव का स्वामी दशम भाव में स्थित हो तब जातक की सामाजिक प्रतिष्ठा अच्छी नहीं होती है। जातक अनैतिक और गैरकानूनी कार्यो में लिप्त हो सकता है। जातक अपने प्रोफेशनल लाइफ में भी ईमानदार नहीं होता है।

9) छठा भाव का स्वामी दशम भाव में स्थित हो तब जातक एक अच्छा वक्ता होता है। जातक बोली चाली में कुशल होता है। लेकिन जातक झूठा वचन बोलने वाला व्यक्ति हो सकता है।

10)छठा भाव का स्वामी दशम भाव में स्थित हो तब जातक अपने प्रोफेशनल लाइफ के लिए अपनी मातृभूमि से दूर जा सकता है। बृहत पाराशरा होरा शास्त्र के अनुसार छठा भाव का स्वामी दशम भाव में स्थित हो तब जातक अपने जन्म स्थान से दूर सफलता प्राप्त करता है अर्थात अपने जन मातृभूमि को छोड़ने के पश्चात जातक के जीवन में अच्छी सफलता प्राप्त होती है।

11) छठा भाव का स्वामी दशम भाव में स्थित हो तो जातक को अपने पैतृक संपत्ति के लिए कानूनी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। जातक के पैतृक संपत्ति में विवाद हो सकता है। जातक अपने पिता का आज्ञाकारी पुत्र नहीं होता है।

12)छठा भाव का स्वामी दशम भाव में स्थित हो तब जातक द्वितीय भाव के संदर्भ में भाग्यशाली हो सकता है। जातक का परिवार प्रसिद्ध हो सकता है। जातक की मौखिक ज्ञान सीखने की क्षमता उत्तम हो सकती है।

13) छठा भाग कानून, रोग इत्यादि से संबंधित होता है। यदि छठा भाव का स्वामी दशम भाव में स्थित हो तब जातक के कानून से संबंधित क्षेत्र या मेडिकल से संबंधित क्षेत्र में नौकरी कर सकता है।

14) यदि छठा भाव का स्वामी दशम भाव के स्वामी के साथ दशम भाव में स्थित हो तब यह शुभ नहीं माना जा सकता है। यदि छठे भाव का स्वामी दशम भाव में पीड़ित हो और बली हो तब जातक को अपने प्रोफेशनल लाइफ में विभिन्न प्रकार के परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। जातक की सामाजिक प्रतिष्ठा अच्छी नहीं होगी। जातक को सरकार या प्रशासन के द्वारा आरोप का सामना करना पड़ सकता है। जातक नीच कार्यों में लिप्त हो सकता है। यदि छठे भाव का स्वामी दशम भाव में शुभ स्थिति में हो तब बुरे प्रभाव कम होते हैं।

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