कुंडली के तृतीय भाव में शुक्र का प्रभाव

कुंडली के तृतीय भाव में शुक्र का प्रभाव


1)कुंडली के तृतीय भाव में शुक्र का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम शुक्र और तृतीय भाव के कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे।

2)तृतीय भाव को शारीरिक और मानसिक क्षमता, अनुज या छोटे भाई बहन, कम्युनिकेशन, छोटी यात्राएं इत्यादि का कारक माना गया है। शुक्र को स्त्री सुंदर का कला शारीरिक सुख इत्यादि का कारक माना गया है।


3)शुक्र एक स्त्री ग्रह है और तृतीय भाव शारीरिक और मानसिक क्षमता का कारक भाव है। अतः तृतीय भाव में स्थित शुक्र के कारण जातक की शारीरिक क्षमता कम होगी और वह शारीरिक श्रम वाले कार्यों को करना पसंद नहीं करता होगा। वह कड़ी मेहनत से दूर भागने वाला व्यक्ति हो सकता है। वह आरामदेह यानी शारीरिक आराम को पसंद करता होगा। लेकिन जातक की मानसिक क्षमता अति उत्तम होगी और वह अपने मानसिक क्षमता को खूबसूरती के साथ इस्तेमाल करेगा। जातक नैसर्गिक रूप से अपने दिमागी क्षमता का इस्तेमाल कर लोगों पर काबू करने में सफल होगा।


4)शुक्र नैसर्गिक रूप से शुभ ग्रह है। तृतीय भाव में स्थित शुक्र, अनुज के लिए उत्तम माना गया है। शुक्र के स्त्री ग्रह होने के कारण जातक से छोटी बहन होगी। जातक के छोटे भाई और बहन आकर्षक और सुंदर व्यक्तित्व के मालिक होंगे। अनुज या छोटी बहन धनी और लग्जरियस लाइफ स्टाइल को पसंद करने वाला वाले हो सकते हैं।


5)तृतीय भाव को कम्युनिकेशन का कारक भाव माना जाता है। शुक्र के तृतीय भाव में होने के कारण, जातक मधुर और आकर्षक वाणी वाला व्यक्ति होगा। शुक्र कला का कारक है, अतः जातक अपने विचारों को कलात्मक रूप से प्रस्तुत करने में निपुण होगा। अतः हम कह सकते हैं कि जातक एक अच्छा चित्रकार, गीतकार, नृत्यकार, और दूसरे किसी कला में निपुण व्यक्ति हो सकता है। जातक नृत्य और संगीत को पसंद करने वाला व्यक्ति होगा। यदि कुंडली में योग हो तब जातक एक अच्छा और प्रसिद्ध गीतकार, कवि, फोटोग्राफर या चित्रकार मूर्ति बनाने वाला या उत्सव फाइनेंसियल एडवाइजर हो सकता है।


6)तृतीय भाव को छोटी यात्रा का कारक भाव माना गया है। अतः तृतीय भाव में स्थित शुक्र जातक को छोटी यात्राएं देता है। जातक अपनी मातृभूमि से दूर किसी दूसरे स्थान पर अपनी जीविका के लिए शिफ्ट हो सकता है।
तृतीय भाव प्रथम काम त्रिकोण है। अतः तृतीय भाव में स्थित शुक्र जातक को कामुक प्रवृत्ति का बनाता है और वह विषय वासना में लिप्त हो सकता है।


7)यदि तृतीय भाव में स्थित शुक्र पीड़ित हो तब जातक को हार्मोनल और सेक्सुअल समस्या दे सकता है। जातक कंजूस प्रवृत्ति का व्यक्ति हो सकता है जातक अनुचित विचार रखने वाला व्यक्ति हो सकता है जातक का फाइनेंसियल कंडीशन अच्छी नहीं होगी।

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