कुंडली के चतुर्थ भाव में सूर्य का प्रभाव

कुंडली के चतुर्थ भाव में सूर्य का प्रभाव


1)कुंडली के चतुर्थ भाव में सूर्य के प्रभाव को जानने से पहले हमें सूर्य और चतुर्थ भाव के सिग्निफिकेंट को या कारकत्व को जानना चाहिए।


2) सूर्य को चतुर्थ भाव में कोई दिग्बल प्राप्त नहीं होता है अतः हम यह कह सकते हैं कि सूर्य चतुर्थ भाव में शुभ फल को कम करेगा या अपने कार्यकत्व को कमजोर करेगा।


3) चतुर्थ भाव और सूर्य दोनों हृदय के नैसर्गिक कारक हैं अतः “कारको भाव नाशाय” है इस सूत्र के अनुसार सूर्य चतुर्थ भाव में हृदय से संबंधित समस्या को दे सकता है। अतः जातक हृदय रोग से पीड़ित हो सकता है।

4) सूर्य नैसर्गिक पापी ग्रह है और अग्नि तत्व से संबंधित है। चतुर्थ हाउस मन का कारक है और नैसर्गिक रूप से जलीय तत्व के अंतर्गत आता है। अतः जब सूर्य चतुर्थ भाव में विराजमान हो तो जातक मानसिक चिंता और परेशानी से पीड़ित हो सकता है । साथ ही वह मानसिक रूप से गर्म मिजाज का हो सकता है । सूर्य चतुर्थ भाव में बिना दिग्बल के जातक को ऐसा व्यक्तित्व प्रदान करता है जिसके कारण जातक आसानी से दूसरों के इन्फ्लुएंस में आ जाता है। जातक मानसिक रूप से कमजोर या उसका सेल्फ कॉन्फिडेंस का लेवल कम हो सकता है।

5) चतुर्थ भाव सुख से संबंधित होता है और सूर्य एक नैसर्गिक पापी ग्रह है अतः चतुर्थ भाव में सूर्य जातक के सुख में कमी करता है । जातक दुखी और उदास स्वभाव का हो सकता है । जातक को सांसारिक सुख के सभी साधन उपलब्ध हो सकते हैं लेकिन वह इन सब का उपभोग करने में परेशानी का सामना कर सकता है या किसी कारणवश सांसारिक सुखों के उपभोग में परेशानी का सामना करेगा या उपभोग ही नहीं कर पाएगा।


6) चतुर्थ भाव माता से संबंधित होता है और सूर्य एक क्रूर ग्रह होने के कारण, चतुर्थ भाव में सूर्य माता के लिए अच्छा नहीं है। सूर्य ग्रहों के राजा हैं अतः जातक की माता राजा के समान व्यवहार करने वाली या एडमिनिस्ट्रेटिव नेचर की हो सकती है । वह अपने आगे दूसरों को तुच्छ समझने वाली हो सकती है।


7) सूर्य सरकार का प्रतिनिधित्व करता है, चतुर्थ भाव से सूर्य दशम भाव को पर दृष्टि डालता है अतः जातक सरकारी नौकरी में हो सकता है, लेकिन उसे सरकारी नौकरी प्राप्त करने के लिए बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है । जातक पॉलिटिक्स में इंटरेस्टेड हो सकता है । जातक को सरकार से लाभ प्राप्त हो सकता है । जातक को अच्छी प्रसिद्धि प्राप्त हो सकती है। पौराणिक शास्त्रों के अनुसार चतुर्थ भाव में सूर्य एक बुरा राजा बनाता है अतः आज के परिपेक्ष में जातक सरकारी नौकरी में हो सकता है लेकिन वह आम जनों को पसंद नहीं आएगा या आम जनों से उसके संबंध बहुत ही खराब रहेंगे।


8) यदि सूर्य चतुर्थ भाव में अच्छी तरह से विराजमान हो तो जातक को अतुलित संपत्ति और धन की प्राप्ति हो सकता है। वह अपनी पैतृक संपत्ति को प्राप्त करेगा । वह सरकारी संपत्ति को प्राप्त करेगा । लेकिन जैसा कि हम जानते हैं सूर्य को चतुर्थ भाव में दिग्बल प्राप्त नहीं है, अतः जातक अपनी संपत्ति का लाभ नहीं उठा पाएगा । अगर सूर्य चतुर्थ भाव में पीड़ित हो तो जातक अपनी पैतृक संपत्ति को खो देगा या उसकी पैतृक संपत्ति सरकार द्वारा जप्त कर ली जाएगी या अथॉरिटी द्वारा ले ली जाएगी।


9) सूर्य चतुर्थ भाव में जातक को दार्शनिक स्वभाव का व्यक्ति बनाता है। जातक का झुकाव रहस्यमई विज्ञान की ओर हो सकता है।

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