ganesh-logo-2-1.png

कुंडली के चतुर्थ भाव में तृतीयेश का प्रभाव

कुंडली के चतुर्थ भाव में तृतीयेश का प्रभाव

1) कुंडली के चतुर्थ भाव में तृतीयेश का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम चतुर्थ भाव और तृतीय भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे। तृतीय भाव का स्वामी स्वयं के भाव से द्वितीय स्थान में स्थित है। अतः हम प्रथम भाव के स्वामी का द्वितीय भाव में क्या फल होता है, इसकी भी जानकारी प्राप्त करेंगे।

2) चतुर्थ भाव सुख का भाव होता है। जब तृतीय भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में स्थित हो तब हम कह सकते हैं कि जातक स्वंय की मेहनत के बदौलत सुख-सुविधा के साधन प्राप्त करेगा अर्थात जातक सांसारिक सुख-सुविधा के साधन जुटाने में सक्षम होगा और एक उत्तम जीवन शैली का आनंद प्राप्त करेगा। साथ ही जातक उसके पास उपलब्ध साधनों का अच्छा उपयोग करेगा।

3) चतुर्थ भाव भूमि से संबंधित होता है, तृतीय भाव स्वयं की मेहनत से संबंधित होता है। अतः चतुर्थ भाव में स्थित तृतीय भाव का स्वामी जातक को खेती की जमीन से लाभ दिला सकता है। जातक प्रॉपर्टी से या कंस्ट्रक्शन से धन अर्जित कर सकता है।

4) चतुर्थ भाव वाहन से संबंधित होता है। तृतीय भाव संवाद या ट्रांसपोर्टेशन या संचार से संबंधित होता है। यदि तृतीय भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में स्थित हो तब जातक ट्रांसपोर्ट से संबंधित या संचार से संबंधित कार्यों से धन अर्जित कर सकता है या कारोबार कर सकते हैं।

5) चतुर्थ भाव घर से संबंधित होता है, तृतीय भाव यात्रा से संबंधित होता है। यदि तृतीय भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में स्थित हो तब जातक ऐसे प्रोफेशन में हो सकता है, जहां उसको छोटी मोटी अनेक यात्राएं करनी पड़ सकती है।

6) चतुर्थ भाव माता से संबंधित होता है। यदि तृतीय भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में स्थित हो तब यह माता के लिए उत्तम नहीं माना जा सकता है। जातक की माता को स्वास्थ्य से संबंधित समस्या हो सकती है।

7) तृतीय भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में स्थित हो तब जातक धनी विद्वान और चालाक व्यक्ति होता है।

8) तृतीय भाव अनुज से संबंधित होता है। तृतीय भाव का स्वामी स्वयं के भाव से द्वितीय स्थान में स्थित है, अतः जातक के अनुज धनी और समृद्ध व्यक्ति होंगे।

9)तृतीय भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में स्थित हो तब जातक के अनुज के साथ प्रॉपर्टी से संबंधित समस्या दे सकता है। सामान्यतः तृतीय भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में जातक को अपने भाई से सुख देता है।

10) तृतीय भाव का स्वामी चतुर्थ भाव के स्वामी के साथ चतुर्थ भाव में स्थित हो तो जातक धनी और समृद्ध होता है। जातक को वाहन का सुख, भूमि का सुख और भी सारे संसार सुख सुविधा प्राप्त होते हैं। जातक में नेतृत्व की अद्भुत क्षमता होती है। जातक एक उत्तम नेता या किसी संस्था का प्रमुख बन सकता है। जातक के अनुज धनी और समृद्ध होंगे। जातक एजुकेशन में या स्टडी में सफलता प्राप्त करेगा।

11) तृतीय भाव एक दुःस्थान भी है। अतः तृतीय भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में पीड़ित हो तब यह जातक के सुख पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा। जातक को प्रॉपर्टी की हानी भी दे सकता है। जातक के पढ़ाई को भी यह डिस्टर्ब कर सकता है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Thanks You

Your Form is Submitted,
We will contact You soon !

Something Wasn’t Clear?
Feel free to contact me, and I will be more than happy to answer all of your questions.
Profile Picture