कुंडली मिलान हम क्यों करते है

कुंडली मिलान – भाग -1
कुंडली मिलान किस लिए और क्यों

हमारी संस्कृति में कुंडली मिलान शादी विवाह में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। ज्यादातर लोगों को यह पता ही नहीं है कि हम कुण्डली मिलान क्यों करते हैं। साथ ही बहुतों को यह भी नहीं पता है, कि हम कुंडली मिलान में क्या मिलाते हैं।

अतः मेरी इस नई सीरिज़, कुंडली मिलान के जरिए हम यह समझने का प्रयास करेंगे कि, कुंडली मिलान क्यों जरूरी है, और हम कुंडली मिलान किस प्रकार करते हैं। ताकि अगली बार जब आपको किसी भी प्रकार के वैवाहिक संबंध के लिए कुंडली मिलान की जरूरत हो तब आप उसे खुद ही मिलान कर सके। साथ ही कुंडली मिलान के आंतरिक अर्थ को भी समझ सके। ताकि आपको निर्णय लेने में सहूलियत हो और हमारा यह पौराणिक परंपरा एक नई ऊंचाई पर पहुंचे।

सबसे पहले हम यह समझने का प्रयास करते हैं कि कुंडली मिलान में हम क्या मिलाते हैं। अगर इसका में आप सभी लोगों को एक लाइन में सरल जवाब देता हूं कि हम दो कुण्डली में चंद्रमा की स्थिति और परिस्थिति मिलाते है। आप मे से कुछ सोच रहे होगे कि मैं क्या बकवास बात कर रहा हूं। लेकिन यह सत्य है।

चंद्रमा से हर कुंडली में से बहुत सी बातें निर्धारित होती है। किसी भी संबंध मे सबसे प्रथम आवश्यकता होती है कि आपस मे मन का मिलना। चंद्रमा मन का कारक ग्रह है और इसका किसी विशेष राशि मे, विशेष डिग्री मे अवस्थित होना जातक की मानसिकता का संकेत देता है। साथ ही चंद्रमा‌ के अंश से कुंडली मे स्थित जातक के जन्म नक्षत्र को भी निर्धारित करती है, जो जातक के बारे में बहुत सारी संकेत देता है। साथ ही चंद्रमा की कुंडली मे स्थित व्यक्ति की  विशोंत्तरी दशा को भी निर्धारित करती है जो वैदिक ज्योतिष की एक महत्वपूर्ण दशा है। अतः कुंडली मिलान मे चंद्रमा प्रधान कारक है क्योंकि यह जातक को राशि, नक्षत्र और व्यक्ति की दशा का निर्धारण करता है।


अगली पोस्ट मे हम जानकारी प्राप्त करेगे हम कुंडली कैसे  मिलाते है।

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