कुंडली के षष्ठम भाव मे पंचमेश का प्रभाव

कुंडली के षष्ठम भाव मे पंचमेश का प्रभाव

1) कुंडली के षष्ठम भाव मे पंचमेश का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम षष्टम भाव और पंचम भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे। पंचम भाव का स्वामी स्वयं के भाव से द्वितीय स्थान में स्थित है, अतः प्रथम भाव के स्वामी का द्वितीय भाव में क्या फल होता है, इसके बारे में भी जानकारी प्राप्त करेंगे।

2) पंचम भाव का स्वामी छठे भाव में शुभ नहीं माना जाता है क्योंकि छठा भाव दु:स्थान होता है और पंचम भाव शुभ स्थान होता है। साथ ही ऐसा माना जाता है कि पिछले जन्म के कुकर्मों के कारण पंचम भाव का स्वामी छठे भाव में स्थित है। जातक इस जीवन में संघर्षपूर्ण जीवन व्यतीत करेगा। जातक को कई सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।

3) पंचम भाव संतान से संबंधित होता है। पंचम भाव का स्वामी छठे भाव में स्थित हो तब यह शुभ नहीं माना जा सकता है। छठा भाव दु:स्थान है, साथ ही पंचम भाव के लिए मारक स्थान भी होता है। यदि पंचम भाव का स्वामी छठे भाव में बुरी तरह पीड़ित हो तब, जातक के संतान को स्वास्थ्य से संबंधित समस्या का भी सामना करना पड़ सकता है। जातक की संतान की समय पूर्व मृत्यु या संतान उत्पत्ति में समस्या का सामना भी करना पड़ सकता है। जातक संतान को गोद भी ले सकता है। छठा भाव मामा से संबंधित होता है, अतः जातक अपने मामा की संतान को भी गोद ले सकता है। यदि पंचम भाव का स्वामी छठे भाव में शुभ स्थिति में हो तब, बुरे प्रभाव कम होते हैं। जातक के संतान संस्कारी और धनी होता हैं।

4) पंचम भाव संतान से संबंधित होता है, छठा भाव विवाद से संबंधित होता है। यदि पंचम भाव का स्वामी छठे भाव में स्थित हो तो जातक और जातक के संतान के मध्य विवाद या मत भिन्नता हो सकती है। जातक और जातक के पुत्र एक दूसरे के प्रति शत्रुता भी रख सकते हैं।

5) छठा भाव मामा से संबंधित होता है। यदि पंचम भाव का स्वामी छठे भाव में शुभ स्थिति में हो तब जातक के मामा प्रसिद्ध हो सकते हैं। जातक के मामा लग्जरियस लाइफ स्टाइल वाला जीवन व्यतीत कर सकता हैं।

6) छठा भाव रोग से संबंधित होता है। यदि पंचम भाव का स्वामी छठा भाव में स्थित हो तब जातक रोगी हो सकता है। जातक को पेट से संबंधित या पाचन तंत्र से संबंधित समस्या हो सकती है। जातक को मूत्र रोग हो सकता है। जातक को हाथों से संबंधित समस्या या बवासीर से संबंधित समस्या हो सकती है। यदि प्रकाशमान ग्रह इस कंबीनेशन में युत हो तब जातक को नेत्र से संबंधित समस्या हो सकती है। जातक बालों के गिरने या रक्त संबंधी विकार से भी पीड़ित रह सकता है।

7) छठा भाव संघर्ष और शत्रु से संबंधित होता है। यदि पंचम भाव का स्वामी छठे भाव में स्थित हो तब जातक अपने जीवन में अनेक कठिनाइयों का सामना करता है। जातक की शत्रु जातक के जीवन में परेशानी खड़ी कर सकते हैं।

8) पंचम भाव जातक की मेंटालिटी से संबंधित होता है। यदि पंचम भाव का स्वामी छठे भाव में स्थित हो तब जातक खुले विचारों वाला व्यक्ति नहीं होता है। जातक अपने स्वभाव को दूसरों से छुपा कर रखता है। अर्थात जातक अपने जिस स्वभाव को लोगों को दिखाता है, वह अंदर से उसके विपरीत स्वभाव का हो सकता है। जातक झूठा हो सकता है। जातक का कठोर वचन बोलने वाला और झगड़ालू प्रवृत्ति का व्यक्ति हो सकता है। यदि पंचम भाव का स्वामी शुभ स्थिति में हो तब जातक की तर्कशक्ति बहुत ही उत्तम होती है। जातक नियम कायदा कानून निपुण हो सकता है। जातक ट्रिक में भी निपुण होगा।

9) पंचम भाव आस्था से संबंधित होता है। छठा भाव पाप स्थान होता है। यदि पंचम भाव का स्वामी छठे भाव में स्थित हो तब जातक को अपने धर्म पर बहुत ज्यादा आस्था नहीं होती है। जातक धर्म के विरुद्ध काम कर सकता है। जातक काला जादू , तंत्र मंत्र जैसे तांत्रिक क्रियाओं में झुकाव रखने वाला व्यक्ति हो सकता है।

10) यदि पंचम भाव का स्वामी छठे भाव में स्थित हो तब जातक को विवाह से संबंधित समस्या का सामना करना पड़ सकता है। जातक के विवाह में विलंब हो सकता है या जातक को अपने लव अफेयर में अलगाव का सामना करना पड़ सकता है। जातक अंतरजातीय विवाह या विदेशी स्त्री से विवाह कर सकता है। जातक के विवाह संबंध भी अच्छे नहीं होते हैं।

11) यदि पंचम भाव का स्वामी छठे भाव के स्वामी के साथ छठे भाव में स्थित तो तब यह शुभ नहीं माना जा सकता है। जातक को जीवन में अनेक प्रकार के परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। जातक विभिन्न प्रकार के रोगों से संबंधित समस्या का सामना कर सकता है। जातक मानसिक तनाव या मानसिक समस्या से भी दो-चार हो सकता है। यदि पंचम भाव का स्वामी छठे भाव में शुभ स्थिति में हो तब जातक के मामा बहुत प्रसिद्ध और धनी व्यक्ति होते हैं। जातक अपने मामा से लाभ प्राप्त करता है। जातक एक पावरफुल व्यक्ति बन सकता है। जातक राजनीति की ओर झुकाव रख सकता है और राजनीतिक शक्ति प्राप्त कर सकता है। जातक अपने शत्रुओं को बहुत ही बुरी तरह से कुचल देता है।

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