कुंडली के प्रथम भाव में केतु का प्रभाव

कुंडली के प्रथम भाव में केतु का प्रभाव

1)कुंडली के प्रथम भाव में केतु का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम प्रथम भाव और केतु के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे।

2) प्रथम भाव में स्थित केतु के कारण जातक लंबे कद के व्यक्ति होता है। जातक साफ-सुथरे रंग का व्यक्ति होता है। जातक शारीरिक रूप से कमजोर और दुबला पतला हो सकता है। प्रथम भाव में केतु के कारण जातक शरीर पर या चेहरे पर कट के निशान हो सकते हैं या जातक के किसी भी प्रकार का अंग भंग की संभावना होती है।

3) केतु एक नैसर्गिक पापी ग्रह है, अतः प्रथम भाव में स्थित केतु जातक को स्वास्थ्य से संबंधित समस्या देता है। केतु एक्सीडेंट का कारक है, अतः प्रथम भाव में स्थित केतु के कारण जातक की एक्सीडेंट की संभावना या एक्सीडेंट की जैसी परिस्थिति बनने की संभावना बनी रहती है। प्रथम भाव में स्थित केतु के कारण जातक को स्किन से संबंधित समस्या हो सकती है, जैसे स्किन रैशेज खुजली त्वचा का जल जाना इत्यादि।

4) प्रथम भाव में स्थित केतु के कारण जातक किसी भी बिंदु पर या किसी भी मैटर पर बहुत ज्यादा मानसिक तनाव लेता है, या जातक पैनिक करता है। जातक किसी भी चीज को लेकर अत्यधिक कंसंट्रेटेड हो जाता है। जातक बहुत ज्यादा सेंसटिवेनेस दिखाता है। अतः जातक के इस प्रकार के स्वभाव के कारण जातक अत्यधिक मानसिक तनाव का सामना करता है।

5) प्रथम भाव में स्थित केतु के कारण जातक किसी के भी छिपा हुए सत्य को उजागर कर देता है, लेकिन उसके सत्य को उजागर करने का तरीका बहुत ही अव्यवहारिक होता है। जातक भड़काऊ स्वभाव, हिंसक सर्वभाव का व्यक्ति हो सकता है। साथ ही जातक भावनात्मक रूप से उग्र स्वभाव का होता है और भावनात्मक रूप से तनाव का अनुभव करता है।

6) प्रथम भाव में स्थित केतु के कारण जातक खुद को आदर्शवादी साबित करने में लगा रहता है।पर वह वास्तविक रूप से वह आदर्शवादी होता नहीं है। लेकिन समाज को और दूसरे को, अपने रियल इमेज को लोगों से पहुंचने से रोकने के लिए वह आदर्शवाद का सहारा लेता है।

7) प्रथम भाव में स्थित केतु के कारण जातक छल का सामना करता है। जातक स्वार्थी होता है और संस्कारहीन होता है। प्रथम भाव में स्थित केतु के कारण जातक बहुत ज्यादा अड़ियल रवैया का होता है। उसका एटीट्यूड “एक बार जो मैंने कमिटमेंट कर दी तो मैं अपने आप की भी नहीं सुनता” इस प्रकार का होता है।

8) प्रथम भाव में स्थित केतु के कारण जातक दुःखी, असंतुष्ट और अव्यवहारिक, असामाजिक और रुखा वजन बोलने वाला व्यक्ति होता है। जातक बातूनी प्रवृत्ति का हो सकता है या लंबी लंबी हांकने वाला हो सकता है।

9)प्रथम भाव में स्थित केतु के कारण जातक आध्यात्मिक प्रवृत्ति का व्यक्ति होता है और अध्यात्म की ओर झुकाव उसका गॉड गिफ्टेड होता है। जातक किसी भी प्रकार का चमत्कार करने में सक्षम हो सकता है।

10) प्रथम भाव में स्थित केतु के कारण जातक को मच्छर बहुत ज्यादा परेशान करते हैं।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Thanks You

Your Form is Submitted,
We will contact You soon !

Something Wasn’t Clear?
Feel free to contact me, and I will be more than happy to answer all of your questions.
Profile Picture