कुंडली के पंचम भाव में चतुर्थेश का प्रभाव

कुंडली के पंचम भाव में चतुर्थेश का प्रभाव

1)कुंडली के पंचम भाव में चतुर्थेश का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम पंचम भाव और चतुर्थ भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे।चतुर्थ भाव का स्वामी स्वयं के भाव से द्वितीय स्थान में स्थित है अतः हम प्रथम भाव के स्वामी का द्वितीय भाव में क्या फल होता है, इसके बारे में भी जानकारी प्राप्त करेंगे।

2) चतुर्थ भाव का स्वामी पंचम भाव में शुभ माना जाता है। चतुर्थ भाव और पंचम भाव एक दूसरे से द्वि- द्वादश है, परंतु यहां पर द्वि-द्वादश संबंध होने पर भी अशुभ फल नहीं प्राप्त होता है।

3) चतुर्थ भाव माता से संबंधित होता है। चतुर्थ भाव माता से संबंधित होता है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी पंचम भाव में स्थित हो, तब जातक की माता एक सम्मानित परिवार से संबंध रखती हैं। जातक अपनी माता की सहायता से धन प्राप्त करेगा। जातक अपने मातृ कुल से संपत्ति प्राप्त करेगा। जातक की माता धार्मिक प्रवृत्ति की महिला होगी।

4) चतुर्थ भाव मन से संबंधित होता है। पंचम भाव बुद्धि से संबंधित होता है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी पंचम भाव में स्थित हो, तब जातक बुद्धिमान होता है। जातक चालाक प्रवृत्ति का भी व्यक्ति होता है।

5)चतुर्थ भाव शिक्षा से संबंधित होता है। पंचम भाव ज्ञान से संबंधित होता है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी पंचम भाव में स्थित हो तब जातक अपनी शिक्षा से उत्तम ज्ञान अर्जित करता है। जातक अपनी शिक्षा में सफलता प्राप्त करता है। जातक उच्च शिक्षा प्राप्त करता है। जातक ज्ञानवान होता है एवं विभिन्न प्रकार की विद्याओं का उसे अच्छा ज्ञान होता है।

6)चतुर्थ भाव का स्वामी पंचम भाव में स्थित हो तब जातक धनी और समृद्ध होता है। जातक अपने जीवन में अच्छी सफलता प्राप्त करता है। जातक अपने हर प्रयास में सफलता प्राप्त करता है और उत्तम धन अर्जित करता है। अतः हम कह सकते हैं कि जातक भाग्यशाली व्यक्ति होगा।

7) चतुर्थ भाव सुख से संबंधित होता है। यदि चतुर्थ भाव का स्वामी पंचम भाव में स्थित हो तब जातक सभी प्रकार के सांसारिक सुख प्राप्त करता है। जातक के पास जीवन के सभी प्रकार की सुख-सुविधा के साधन उपलब्ध होते हैं। जातक सुखी होता है। जातक के पास अपना घर, अपना वाहन होता है।

8) चतुर्थ भाव मोक्ष स्थान होता है। मोक्ष भाव का स्वामी धर्म भाव में स्थित हो, तब जातक धार्मिक और आध्यात्मिक प्रवृत्ति का व्यक्ति होता है। जातक मंत्र शक्ति के द्वारा अपने आध्यात्मिक क्षमता में वृद्धि करने में सक्षम हो सकता है। जातक धार्मिक क्रियाकलापों में लिप्त हो सकता है। जातक को धर्म का अच्छा ज्ञान हो सकता है। जातक धार्मिक यात्राओं के प्रति झुकाव रख सकता है।

9) पंचम भाव मंत्री पद से संबंधित होता है। चतुर्थ भाव पब्लिक से संबंधित होता है। चतुर्थ भाव का स्वामी पंचम भाव में स्थित हो तब जातक किसी संस्था का सलाहकार या प्रमुख व्यक्ति हो सकता है। जातक एक मंत्री के समान समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त करता है।

10)यदि चतुर्थ भाव का स्वामी पंचम भाव के स्वामी के साथ पंचम भाव में स्थित हो, तब यह प्रसिद्ध धर्म-कर्म अधिपति योग बनाता है। अतः जातक ज्ञानवान व्यक्ति होगा। जातक को राजनीतिक शक्ति प्राप्त होगी। जातक प्रसिद्ध हो सकता है। जातक चेयरमैन, मंत्री या इसी प्रकार के पावरफुल पदवी को प्राप्त करता है। जातक उत्तम धन प्राप्त करता है। जातक को सरकार से सहायता प्राप्त होगी। जातक धार्मिक प्रवृत्ति का व्यक्ति होता है। जातक को मंत्रों अच्छा ज्ञान होता है।

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