कुंडली के द्वादश भाव में शनि का प्रभाव

कुंडली के द्वादश भाव में शनि का प्रभाव

1)कुंडली के द्वादश भाव में शनि का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम शनि और द्वादश भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे।

2) द्वादश भाव व्यय भाव के रूप में जाना जाता है। शनि व्यय का कारक ग्रह है। अतः द्वादश भाव में स्थित शनि जातक को कंजूस प्रवृत्ति का व्यक्ति बनाता है। जातक जरूरी खर्च भी नहीं करेगा, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है जातक के व्यय नहीं होंगे। जातक के अनियंत्रित खर्चे होंगे जो जातक के कंट्रोल में या नियंत्रण में नहीं होंगे।

3) द्वादश भाव में स्थित शनि जातक को बहुत सारे बुरे फल देता है अतः द्वादश भाव में स्थित शनि शुभ नहीं माना गया है। जातक को नेत्र से संबंधित समस्या हो सकती है।

4) शनि आयु का कारक ग्रह है, अतः द्वादश भाव में स्थित शनि जातक की आयु को कम करता है। साथ ही द्वादश भाव में स्थित शनि द्वितीय भाव और छठे भाव पर अपनी पूर्ण दृष्टि भी डालता है, जिसके कारण जातक शनि मारक प्रभावी देने में सक्षम होता है।

5) द्वादश भाव में स्थित शनि जातक को अपमानित करवा सकता है। जातक बदनामी का सामना करेगा। जातक मूर्ख होगा यह मूर्ख समझा जाएगा।

6) द्वादश भाव में स्थित शनि जातक को कर्ज से परेशान रख सकता है। जातक व्यापार में नुकसान का सामना कर सकता है। जातक को कानूनी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। जातक अपनी शत्रु से परास्त हो सकता है।

7) द्वादश भाव जातक को स्वास्थ्य से संबंधित समस्या दे सकता है। कई प्रकार के रोगों से ग्रसित हो सकता है। जातक को त्वचा से संबंधित रोग हो सकते हैं। जातक बुखार या शरीर की गर्मी से परेशान कर सकता है। जातक को अपने शरीर के किसी अंग का नुकसान होने की संभावना रहती है।

8) द्वादश भाव में स्थित शनि जातक को अनिद्रा या अनिद्रा से होने वाली समस्या दे सकता है। जातक अनचाहे स्वप्न से परेशान रह सकता है। जातक लेजी प्रवृत्ति का हो सकता है। जातक मानसिक तनाव का सामना कर सकता है। जातक के मन मे नेगेटिव विचार आते रहते हैं। जातक गुप्त और बुरे कर्मों में लिप्त हो सकता है।

9) द्वादश भाव में स्थित शनि जातक के पिता के सुख को कम करता है। जातक अपनी पैतृक संपत्ति को नष्ट कर देता है या उसके सुख से वंचित रहता है या पैतृक संपत्ति प्राप्त करने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। जातक को धन का नुकसान उठाना पड़ सकता है।

10) द्वादश भाव में स्थित शनि जातक को अध्यात्म की ओर झुकाव देता है। जातक ध्यान और साधना जैसे क्रियाओं की ओर झुकाव रखने वाला व्यक्ति हो सकता है। द्वादश भाव में स्थित शनि के कारण जातक सांसारिक सुख से अलगाव का विचार रख सकता है। जातक समाज और जाति से भिन्न विचार रखने वाला या समाज या जाति से बहुत ज्यादा लगाव नहीं रखने वाला व्यक्ति हो सकता है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Thanks You

Your Form is Submitted,
We will contact You soon !

Something Wasn’t Clear?
Feel free to contact me, and I will be more than happy to answer all of your questions.
Profile Picture